Menu
blogid : 22868 postid : 1090507

चुनावी रैली या राजनीति

sahitya aalekh
sahitya aalekh
  • 3 Posts
  • 1 Comment

बिहार में चुनावी रैली या राजनीति बिहार विधानसभा चुनाके लिए भागलपुर जिले में 1 सितंबर को हुई प्रधान मंत्री ‘नरेंद्र मोदी’ की परिवर्तन रैली चुनावी जंग का विशाल रूप ले चुकी है। इस जंग में राजनीतिक दलों एवं नेताओं के बीच घमासान छिड़ गया है। आरोप – प्रत्यारोप, वाद-विवाद,वाक्-युद्ध थमने का नाम नहीं ले रहा है। वाकई इस चुनाव के मौसम पर हजारों बयानों और वादों का रंग चढ़ चुका है। इस चुनावी मुकाबले में देश प्रधान मंत्री ने बिहार के मुख्य मंत्री को अपना राजनीतिक निशाना बनाया। और कहा कि -30 अगस्त को पटना में ‘स्वभिमान रैली’ नहीं बल्कि ‘तिलांजलि रैली निकाली गई थी। चुनाव के नाम पर आरजेडी और जेडीयू वाले अपने मतलब के लिए बिहार की जनता के साथ राजनीति कर रहे हैं। 25 सालों से जनता झूठे वादों एवं योजनाओं का शिकार हो रही है। विकास के नाम पर जीडीपी दर दिन-ब-दिन नीचे गिरती जा रही है। रोजगार की तलाश में आज भी जनता दूसरे शहरों का रूख ले रही है। क्या यही विकास हुआ है बिहार में?प्रधान मंत्री ने बिहार की जनता से वहाँ की सारी समस्याओं को दूर करने का वादा किया। साथ ही बिहार को विकास के तोहफे के रूप बहुत बड़ी राशि की घोषणा की गई। 3 लाख 74 हजार करोड़ रुपये का विशेष पैकेज एवं 1 लाख 65 हजार करोड़ रुपये अलग से देने की बात कही। वहीं मुख्य मंत्री ने मात्र 2 लाख 60 हजार करोड़ विकास राशि देने की बात कही थी। प्रधान मंत्री के ‘परिवर्तन रैली’ के सवालों के जवाब के रूप में तुरंत बाद मुख्य मंत्री ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जनता को अपनी बातों से रूबरू करवाया। और अपने “सात सूत्री” विकास के एजेंडे के बारे में बताया। जो बिहार के बिजली, पानी जैसी गंभीर समस्याओं के समाधान में अहम् भूमिका निभाएगी।साथ ही केंद्र सरकार द्वारा दी जानेवाली ‘विशेष री-पैकेजिंग’ को खोखला बताया। इस तरह राशि कम हो या बिहार की जनता पर तोहफों की बारिश कर उसे लुभाने का प्रयास किया जा रहा है। परंतु जनता का ये सवाल है, कि आखिर इस तरह एक – दूसरे पर दोषारोपण का ये सिलसिला कब तक चलेगा? क्या चुनाव के लिए सिर्फ रैली ही एक मुद्दा है? क्या सिर्फ ख्याली पुलाव भरी बातें से ही जनता को लुभाना चुनाव का मुख्य उद्देश्य है? क्या तोहफे के बल पर ही जनता का वोट हासिल किया जा सकता है? सारे अहम् मुद्दों को छोड़ सिर्फ़ तोहफों को तूल देना क्या ये सही है? ये जनता के मसले से रूबरू होने की रैली है, या चुनाव की आड़ में कोई राजनीति। देखा जाए तो इसके अलावा भी बहुत सारी बातें हैं, जिनपर गौर फरमाया जा सकता है। जनता को सिर्फ भाषण से आकर्षित करना ही नहीं बल्कि उनकी गंभीर एवं मूल समस्याओं को भी जानने और सुलझाने का प्रयास करना चाहिए। परंतु ये समस्या इन तोहफों के आगे बौनी साबित हो गई। अब देखना ये दिलचस्प होगा, कि बिहार की जनता को पीएम का तोहफा रास आता है,, या सीएम के विकास एजेंडे का। बिहार में परिवर्तन रैली से परिवर्तन का ‘शंखनाद गूंजेगा’ या ‘स्वभिमान रैली’ के ‘विकास का आगाज’ होगा।बिहार की जनता अपने अधिकार को सही मायने में कितना उपयोग करेगी और अपने कसौटी पर किसे खरा साबित करेगी ये तो चुनाव के बाद ही पता चलेगा। इस राजनीति के शतरंज में किसका पासा पलटेगा और बिहार में किसका शासन होगा ये तो जनता का वोट ही तय करेगी। क्योंकि… “” ये पब्लिक है,, जो सब जानती है। “” सुप्रिया सिन्हा House no: 632 Nandanvana Layout Anekal Taluk, Kalluballu Post-Jigni, Bengaluru – 560083

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published. Required fields are marked *

    CAPTCHA
    Refresh